Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

शाहजहाँ शाद के दोहे

शाहजहाँ शाद के दोहे

पैसे से ही भागती, है जीवन की रेल

पी कर तेरी आँख से, नशा हुआ भरपूर।
आसमान अब पास है, धरती मुझसे दूर।।



सब कुछ तेरे हाथ में, सब तेरे अनुरूप।
तू चाहे तो छाँव है, तू चाहे तो धूप।।



बच्चों की मुस्कान में, भगवन तेरी शान।
फिर से बच्चा कर मुझे, हैं मेरे अरमान।।

 

ला, दे मेरे हाथ में, अब तू अपना हाथ।
जीना-मरना आज से, सबकुछ तेरे साथ।।



उसको मुझसे प्यार है, मुझको उससे प्यार।
बस इतनी-सी बात पर, दुश्मन है संसार।।

 

सच कहता है यार तू, सब पैसे का खेल।
पैसे से ही भागती, है जीवन की रेल।।

 

आँसू भी मुस्कान भी, सुख का, दुख का मेल।
जब तक अपनी साँस है, तब तक सारा खेल।।



दोराहे पर ज़िंदगी, अब जाना किस ओर।
रोके मेरे पाँव को, मेरे मन का चोर।।



बाज़ारु औरत नहीं, बाज़ारु है सोच।
ज्ञानी तेरे ज्ञान की, हड्डी में है मोच।।



महल छोड़ के आएगा, फुटपाथों पर ख़्वाब।
जीवन की सच्चाई का, छोटा बहुत हिसाब।।

******************

2 Total Review

वसंत जमशेदपुरी

14 November 2024

मनभावन दोहे

A

Anuj Pandey

10 November 2024

अति सुन्दर दोहे! ❣️💫

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

शाहजहाँ शाद

ईमेल : shaadkhan41@gmail.com

निवास : सूरत (गुजरात)

मूल नाम- शाहजहाँ शमशुद्दीन ख़ान
जन्मतिथि- 14 अगस्त, 1961
जन्मस्थान- आज़मगढ़ (उत्तरप्रदेश)
शिक्षा- एम० एस० सी०
सम्प्रति- स्वतंत्र लेखन
प्रकाशन- 'वो', 'तुम', 'हम', 'काग़ज़ी फूल', फिर यूँ हुआ', 'दर्द जागा है', 'ग़म नहीं है', 'इश्क़ की धूप' (ग़ज़ल संग्रह) प्रकाशित
सम्मान- गुजरात साहित्य अकादमी तथा विभिन्न संस्थानों द्वारा सम्मानित।
निवास- 171, रंग अवधूत सोसाइटी- 2, रांदेर, सूरत (गुजरात)
मोबाइल- 7984386043