Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अल्का 'शरर' के माहिए

ग़मगीं या शाद रहो
ऐसे जीना तुम
दुनिया को याद रहो।
 

सुषमा भंडारी के माहिए

ये गृहस्थ तपोवन है
खुश हो नारी तो
हर आंगन उपवन है

राजेन्द्र निगम 'राज' के माहिए

इन्सान लड़ाने हैं
मन्दिर मस्जिद तो
बेकार बहाने हैं

लक्ष्मी शंकर वाजपेयी के माहिए

पीड़ाओं का घर है
जो भी है दुनिया
रहना तो यहीं पर है