Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
डॉ० पन्ना त्रिवेदी कि गुजराती कहानी- माजों

ट्रेन एक धक्के के साथ थोड़ी धीमी हो गई। माजो की चंचल आँखेँ और भी चमक से भर गईं। एक-एक डिब्बे को आगे धकेलती उसकी आँखेँ वापस लौट आईं। पास-होल्डर का डिब्बा नज़दीक आते ही उसकी बावरी आँखेँ राजा को ढूँढने लगीं।  ‘गॉगल्स’ पहने उसका राजा दरवाज़े के पास ही खड़ा था- ओह तो क्या आज भी उसे जगह नहीं मिली? माजो की आँखों में चमक आ गई| वह तो यही चाहती कि उसे कभी जगह ही ना मिले ताकि रोज़ उसे वह पूरा देख सके| फिर चाहे एक पल के लिए ही क्यों न हो?

गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़ की कहानी 'मौंतिएल की विधवा'

अनूदित लातिन अमेरिकी कहानी
मूल लेखक- गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़