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रेमन की पंजाबी कहानी अम्बा मर जानी का हिन्दी अनुवाद- अमरीक सिंह दीप

अम्बा जानती है यह निगाह शुध्द नहीं है। कई बार उसे सड़क पर खड़े आदमियों की निगाहें भी हूबहू ऐसी ही नज़र आती है। उनमें और पंडित जी की दृष्टि में क्या फर्क है? मन ही मन सोचा है अम्बा ने ,,, कोई नहीं। वह जानती है, यह उसके खूबसूरत होने की कीमत है। उसके खूबसूरत होने की दूसरी कीमत यह है कि घर की औरतें उससे ईर्ष्या करती हैं और इस बात ने उसे बहुत अकेला कर दिया है। पर यह कोई विरोध करने वाली बात नहीं। विरोध केवल नीलाम्बर का हो सकता था। शरीर पर बूढ़े और पितातुल्य हाथ फिरते सहन नहीं नहीं हो रहे थे। झेले गये थे , यह आत्मा पर जख्म करता है, और आत्मा सारे एहसास याद रखती है। देह चाहे इस बात में बहुत संयमी न हो।

प्रभात भट्टाचार्य की बांग्ला कहानी 'क़ब्ज़ा' का श्याम सुंदर चौधरी द्वारा हिंदी अनुवाद

अचानक सबकुछ ज़ोरों से हिलने लगा। ऐसे में सबकी नींद का टूटना लाज़मी था। चारों ओर से भूकंप-भूकंप की आवाज़ें आने लगीं। आनन-फानन में लोग घर से बाहर निकल आये। समुद्र की लहरों में काफी ऊपर तक उछाल आ रहा था। एक्स, वाई और ज़ेड तीनों देशों की एक जैसी ही हालत थी। धरती भयावह तरीक़े से ऊपर नीचे हो रही थी। सभी आतंकित से एक-दूसरे को देख रहे थे। एक ही प्रश्न सबकी आँखों में।

खालेदा खुरसंद की अफ़ग़ान कहानी 'संदेह' श्रीविलास सिंह द्वारा अनुवाद

तुम्हारे पेट में गुदगुदी और पैरों में झुनझुनी-सी है। तुमने अपनी माँ को फ़ोन किया था, जिससे वे ख़ुश हो गई थीं। माहौल उदास था और बाहर बर्फ पड़ रही थी। तुम्हारी नन्ही बेटी तुम्हारी बग़ल में बैठी धीरे-धीरे साँस ले रही थी। मेहनत से तुम्हें थकान हो गई थी। तुमने अपनी बच्ची को ध्यान से देखा। वह अपनी बड़ी-बड़ी आँखों संग थोड़ा-थोड़ा तुम्हारे जैसी दिख रही थी। वह अपने आसपास जो कुछ घटित हो रहा था, उसे देख रही थी और उसके मुँह से कुछ चूसने की-सी आवाज़ आ रही थी।

आरिफ़ महमूद की उर्दू कहानी 'तमाशाई' का प्रियंका गुप्ता द्वारा अनुवाद

अब गली के आख़िर में बनी हुई छोटी-सी मस्जिद में स्थायी तौर पर लाउडस्पीकर लग गया था और वर्मा जी के दरवाज़े रखे हुए चंद पत्थरों ने एक मंदिर की सूरत अख़्तियार कर ली थी और उसका चबूतरा बढ़कर आधी गली तक पहुँच गया था। इस हक़ीक़त के बावजूद कि सड़क के इस पार बहुत बड़ा मंदिर मौजूद था लेकिन शाम को गली के बाहर के चंद लोग आकर ऐन अज़ान के वक़्त पर घण्टे बजाकर पूजा-पाठ करने लगे थे।