Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अनामिका प्रिय की कहानी- नायक

अगर ईश्वर पर भरोसा है तो ठीक है। वैसे किसी व्यक्ति पर एक बार तो भरोसा किया ही जा सकता है और क्या मैं इस काबिल नहीं हूँ।  मुझे तुम्हारे जवाब का इंतजार रहेगा। बहुत परेशान सी हो गयी थी वह। कहा था-  हद है, तुम कुछ नहीं समझते। प्लीज यह सब अब दुबारा मत कहना।

 

डॉ० मीनू अग्रवाल की कविताएं

चेहरे पर उभरी ये नक़्काशी
ही तो करती है बखान 
चरित्र की महिमा का  
और उनके मध्य उठती
स्निग्घ मुस्कान की सरल रेखा
अदा कर रही है शुक्रिया 
प्रकृति की हज़ार नेमतों का भी!!

ऋत्विक रंग की दो ग़ज़लें

हर कोई पूछता है सबब इस उदासी का
किससे कहें कि तेरे लिए हम उदास हैं

शिखरानी की कविताएँ

बाँहों में बाँहों का बंधन
कुछ इस तरह बँध जाए
जैसे मोती और धागा
मिलकर हो जाते माला