Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
आशना सोनी की कविताएँ

बस मैं अब और नहीं सह सकती
आख़िर किसी से कुछ नहीं कह सकती
अक्सर सहम जाती हूँ
समाज के कचोटते सवालों से
चुभती निगाहों से

प्रतिभा सुमन शर्मा की कविताएँ

उठती हूँ तो बोले, उठी क्यों?
बैठती हूँ तो बोले, बैठी क्यों?
भागती हूँ तो बोले, ऐ मत भागो!
लेटी हूँ तो बोले क्या दिन भर लेटी रहोगी?
कपड़े ठीक से पहनो
मुँह पर थोड़ा पावडर लगाया करो
माथे पर लाल रंग की ही बिंदी लगाया करो