Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
प्रीति शर्मा प्रीति के दोहे

 
पुष्प-प्रणय खिलने लगे, जाग रही उर आस।
अधरो के अनुबंध ने, भरा प्रेम विश्वास।।

वसंत जमशेदपुरी के दोहे

पतझड़  ही आता सदा, लेकर सुखद वसंत।
सार समझ संसार का, दुख का होगा अंत।।

आशा अमित नशीने के सवैये

आशा अमित नशीने के गीत एवं छंदों पर महारत हासिल है। आपकी लेखनी बहुत सशक्त है।

शाहजहाँ शाद के दोहे

पैसे से ही भागती, है जीवन की रेल