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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' के घनाक्षरी छन्द

इस अंक में छन्द विधान के ज्ञाता, की पुस्तकों के रचयिता एवं ब्रज कुशमेश के संपादक वरिष्ठ कवि अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक'  के घनाक्षरी छन्द पढ़िए।  

सरोज सिंह 'सूरज' के दोहे

नीर भरे नैना रहें, लिये दरस की प्यास।
प्यासे नैना जल भरे,अजब विरोधाभास।।

 

मनोज शुक्ल 'मनुज' के मनहरण घनाक्षरी

राम-माया दोनों के ही फेर में रहे जो बंधु,
उनको न माया मिली, राम भी नहीं मिले।

नीरज 'नीरू' के पंच चामर छन्द

विदेश,देश में  बसी ,मनुष्य जाति बुद्ध हो,
अधर्म को तजें सभी,कि बैर हो न युद्ध हो।
करें कभी न कर्म यूँ, कि चित्त ही अशुद्ध हो,
बनें स्वयं सुदीप ही,कि बुद्धि भी न क्रुद्ध हो।