Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अलंकार आच्छा के हाइकु

तटों में बल
हद में रहता है
नदी का जल!

मीनू खरे के हाइकु

मित्र हैं वृक्ष
साँसों के हस्ताक्षर
धरा के वक्ष!

अरुण सिंह रुहेला के हाइकु

सड़कें चौड़ी 
मन द्वार सँकरे 
कैसा जीवन।

कंचन अपराजिता के हाइकु

 
ओठों की हँसी 
ढक रहे तन के 
नीले निशान।