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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
आप कब तक हँसेंगे कॉमरेड- डॉ० नुसरत मेहदी

यह कुछ चयनित साहित्यकारों का सम्मान समारोह था। मैं श्रोताओं में प्रथम पंक्ति में बैठी मंच की गतिविधियों को ध्यान से देख रही थी। धीर गंभीर साहित्यकार कुछ निर्विकार से मंच पर बैठे थे। उनके चेहरों पर न ख़ुशी न ग़म वाले भाव थे। निश्चित ही साहित्य जगत के बड़े नाम थे और वरिष्ठता के इस पड़ाव पर भावनाओं की अभिव्यक्ति को वश में करना आ जाता होगा, मैने सोचा। किन्तु थोड़ी ही देर में मुझे अनुभव हुआ कि मंचासीन साहित्यकारों में कुछ की भाव भंगिमा सामान्य से कुछ ज़्यादा ही गंभीर है उनके चेहरे इतने कसे हुए थे कि मांस पेशियाँ तक दिखाई दे रही थीं।