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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
साहित्य का समाज से अलग कोई अस्तित्व नहीं है- डॉ० राकेश जोशी

देहरादून (उत्तराखण्ड) निवासी डॉ० राकेश जोशी हिंदी ग़ज़ल के वरिष्ठ रचनाकारों में एक महत्त्वपूर्ण नाम हैं। आप पिछले तीन दशकों से अधिक समय से साहित्य सृजन में सक्रिय हैं। अब तक आपके तीन ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें भरपूर सराहना मिली है। इसके अलावा सैंकड़ों पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पोर्टलों पर आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। डॉ० जोशी का उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षा में भी अहम योगदान रहा है। कुछ ही समय पूर्व इनका नया संग्रह 'हर नदी की आँख है नम' प्रकाशित होकर आया है। साहित्य तथा ग़ज़ल के पाठकों के लिए प्रस्तुत है विभिन्न विषयों पर इनके साथ हुआ एक संवाद।

कथाकार प्रतिमा श्रीवास्तव का साक्षात्कार- अमरीक सिंह 'दीप'

अमरीक सिंह 'दीप' द्वारा प्रतिमा श्रीवास्तव का पूर्व में लिया गया रोचक साक्षात्कार 

वरिष्ठ कथाकार अमरीक सिंह ‘दीप’ का साक्षात्कार- राजेश क़दम

भले ही उपनाम ‘दीप’ है, लेकिन साहित्य की तिलिस्मी दुनिया की मायावी गहरायी में डूबने-उतराने वाले अस्सी और नब्बे के दशक में अधिकांश नवांकुर लेखक और लेखिकाओं को सूरज की तरह रोशनी देने वाले अमरीक सिंह ‘दीप’ आज भी अपनी ऊर्जा और सृजन की भूंख का ईंधन तलाशते रहते हैं। स्वभाव से निहायत घुमक्कड़, जिज्ञासु, विनम्र, सहज, सरल और संकोची अमरीक सिंह ‘दीप’ हमेशा से ही किसी संस्था, ग्रुप और गुट से ख़ुद को बचाते-छिपाते रहे हैं। 

रमेश बक्षी का पूर्व में लिया गया साक्षात्कार- प्रतिमा श्रीवास्तव

उनका पूरा घर उनके व्यक्तित्व और अभिव्यक्ति का राज़ खोलता है। सबसे पहले यह मुझे अपनी स्टडी में ले गये।- एक खूबसूरत झोपड़ीनुमा कमरा जो बाँस से बना था, ऊपर एक लालटेन लगी थी। और मेज पर रखा था टाइपराइटर।