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लेखकों को नई ऊर्जा के साथ नए प्रतिमान स्थापित करने की अवश्यकता है- संदीप तोमर

संदीप तोमर देश की राजधानी दिल्ली में रहकर साहित्य सेवा कर रहे हैं। मूल रूप से वे उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर ज़िले के एक गाँव- गंगधाड़ी से ताल्लुक रखते हैं। लम्बे समय से लेखन से जुडे रहे हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अध्ययन और लेखन उन्हें विशिष्ट पहचान देता है। लघुकथा, कहानी, उपन्यास, कविता, नज़्म, संस्मरण इत्यादि विधाओं पर उन्होंने अपनी क़लम चलाई है। वर्तमान में हिंदी उपन्यासों से उन्होंने साहित्य में एक अलग पहचान बनायी है। हाल ही में संदीप तोमर जी से शिक्षिका और कवयित्री सुमन युगल की लेखन पर विस्तृत बातचीत हुई, जिसमें श्री तोमर ने बेबाकी से अपनी ईमानदार राय रखी। प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के अंश।

कम शब्दों में बात कहने की आदत ने ग़ज़ल कहने की ओर अग्रसर किया: ऋषिपाल धीमान

अपनी ग़ज़लों में यथार्थपरकता तथा पारंपरिकता का अच्छा संगम करने वाले, लोक सम्पृक्त रचनाधर्मिता के साथ हिन्दी की ग़ज़लों को सँवारने वाले प्रतिष्ठित ग़ज़लकार ऋषिपाल धीमान जी से के० पी० अनमोल की एक बातचीत आप सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है। धीमान जी माधोपुर (रुड़की) की उपज हैं तथा अहमदाबाद (गुजरात) में व्यवस्थित हैं। इनके अब तक कुल 5 ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा ये हिन्दी साहित्य अकादमी, गुजरात से सम्मानित भी हो चुके हैं।