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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
भारतीय ज्ञान परम्परा : दृष्टि एवं सृष्टि विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन

मुख्यातिथि के रूप में पधारे आचार्य श्रीनिवास वरखेडी महोदय (माननीयकुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली) ने संस्कृत चिंतन की अभिनव दृष्टि हेतु अभिप्रेरित किया। आचार्य ने भारतीय होने हेतु भारती का बोध को आवश्यक बताया। रामभद्राचार्य दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य शिशिर पाण्डेय ‌महोदय ने मौलिक चिंतन पर ज़ोर दिया।

हरभजन सिंह मेहरोत्रा के उपन्यास 'निर्वासिनी' का लोकार्पण

दुष्यंत और शकुंतला की प्रेमकथा को हम सभी जानते तो हैं, परन्तु उसे सच्चे प्रेम के रूप में हम कभी परिभाषित नहीं करते। अपने अथाह प्रेम और सर्वस्व समर्पण के बावजूद लांछित और परित्यक्त शकुंतला के ह्रदय की पीड़ा को आत्मसात करते हुए प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री हरभजन सिंह मेहरोत्रा ने ‘निर्वासिनी’ उपन्यास की रचना कर डाली। 
हाल-फिलहाल प्रकाशित हुए इस उपन्यास ने आते ही सुधि पाठकों के दिल में उत्साहजनक उत्सुकता पैदा कर ली...।
 

कथा कहन कार्यशाला - कनोता कैम्प रिज़ॉर्ट

जयपुर के निकट प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर कानोता कैंप रिजॉर्ट में कथाकहन का चौथा तीन दिवसीय राइटिंग वर्कशॉप आयोजित किया गया। कानोता कैंप रिजॉर्ट  के सुरम्य वातावरण की छटा देखते ही बनती है। पंछियों के साथ प्रतिभागियों की उमंगित चहचहाट सुनना सुखद है और वरिष्ठ साहित्यिक विशेषज्ञों को सुनना सोने पर सुहागा है।

डॉ० लवलेश दत्त की पुस्तक का अनासक्ति आश्रम कौसानी में विमोचन

इस पुस्तक में उन्होंने महात्मा गांधी के दार्शनिक विचारों को विस्तार से बताते हुए स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता में उनकी अभिव्यक्ति को दर्शाया है।