Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अंजू केशव की ग़ज़लें

आपको माना कि बारिश चाहिए
बादलों को पर गुज़ारिश चाहिए

है तो औरत ही भले सीता ही है
तो उसे भी आज़माइश चाहिए

अल्का 'शरर' पाँच की ग़ज़लें

हिसार-ए-ज़ात से बाहर कभी गर मैं निकल पाती
तो अपने जिस्म से कुछ रूह का हिस्सा बदलती मैं

असलम राशिद की पाँच ग़ज़लें

बिछड़े थे जिसकी वजह से सीता से राम जी
मैं उस हिरन को राम कहानी से खींच लूँ

विज्ञान व्रत की ग़ज़लें

एक ज़रा-सी ग़लती पर
दुनिया-भर के जुर्माने