Ira
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
डॉ० उपमा शर्मा की पाँच ग़ज़लें

पेशे से दंत चिकित्सक डॉ० उपमा शर्मा उर्दू ग़ज़ल के कारवां को आगे बढ़ाता एक नया नाम है। इनकी ग़ज़लगोई का परंपरागत लबो-लहजा आकर्षित करता है। प्रेम के विभिन्न रूप और दर्शन की उपस्थिति इनकी ग़ज़लों के मूल तत्व हैं। यहाँ प्रस्तुत हैं इनकी पाँच चुनिंदा ग़ज़लें।

शमीम हयात  की ग़ज़लें

चाँद, सितारे, नदियाँ, सागर, धरती, अंबर महकेंगे
तुम आओ तो पतझड़ में भी गुल शाखों पर महकेंगे

संदल की ख़ुश्बू का डेरा है अब तेरी जुल्फों में
गर बैठी जूड़े में तेरे तितली के पर महकेंगे

 

अशोक रावत की ग़ज़लें

मान   लेंगे,  आपका जो   भी  इरादा हो
शर्त  क्या हैं  मान्यवर, ये  तो खुलासा हो

फ़ानी जोधपुरी की ग़ज़लें

फ़ानी जोधपुरी उर्दू की युवा ग़ज़ल का प्रतिनिधि नाम हैं। इनकी ग़ज़ल जहाँ एक तरह तमाम परंपरागत पैमानों को निभाते हुए चलती हैं, वहीं दूसरी तरफ आधुनिकता को भी अपनी ज़द में समेटती हुई एक नया रास्ता तैयार करती हैं। इनकी ग़ज़लें सही मायनों में उर्दू ग़ज़ल की जगमगाती हुई रोशन राहों में नई तरह के उजाले भरती हैं।