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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। दिसंबर 2024 के अंक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
जयराम सिंह गौर की कहानी- अपवाद

पुतान भाई बड़े मस्त अपने काम से काम रखने वाले आदमी थे। बिलावजह किसी के काम में टांग नहीं अड़ाते थे। उनका बस एक शौक था तीतर पालने का,उसके लिए बड़ा सुंदर सा पिंजड़ा बनवाए थे वह पिंजड़ा उनके साथ खेतों में भी रहता था। जब वह कानपुर आते या कहीं रिश्तेदारी में जाते तो अपनी भाभी को सौंप कर आते थे। इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई अमल नहीं था। पर किसी की दुःख तकलीफ में अपनी जान लगा देते थे।

जयनन्दन की कहानी- हनकी बूढ़ी का कवच

दीन दयाल का मुँह लटक गया और उसे लगने लगा कि अब तक उसके द्वारा किया जाने वाला पूजा-पाठ-यज्ञ-हवन सब व्यर्थ चला गया। जिन देवी-देवताओं की आप पूजा कर रहे हैं, याचना कर रहे हैं, वरदान माँग रहे है, वे सब खुद अपने ही अस्तित्व की रक्षा में असमर्थ सिद्ध हो गये। यह तो बड़ी अजीब बात है। सजा तो उसे कुछ न कुछ जरूर मिलनी चाहिए।

डॉ० ज्योत्सना मिश्रा की कहानी - हिन्दी का मास्टर

"आप मुझे क़सम खिलायेंगे जल संरक्षण की? मैडम जी, आप अपने टॉयलेट में एक बार में जितना पानी बहा देतीं हैं हम लोग उतने में हफ्ता बिताते थे। आप के हाथ में जो यह प्लास्टिक की पानी की बोतल है न, इसी की वजह से हमारे डंगर प्यासे मर जाते हैं।"

कृष्ण बिहारी की कहानी- टेंशन

उसके साथ का पूरा संवाद अंगे्रजी में हुआ था। अगर वह हिन्दी बोल ही पाती तो उसे ट्यूशन की कोई खास जरूरत नहीं होती। वह बहुत सरल लगी। मगर उसकी सरलता भी एक पहेली जैसी ही अबूझ भी दिखी। मैंने डॉक्टर गुप्ता से भी उसके बारे में कुछ ज्यादा नहीं पूछा था। शाम को लगभग पाँच बीस पर मैंने उसकी कम्पनी ऑफिस की कॉल बेल दबाई। वह अकेली ही वहाँ थी।